Monday, March 15, 2021
Sagon Ka Ped; सागौन का पेड़; ساگون کا پیڑ ; Ministory;लघु कहानी;افسانچہ
Tuesday, March 9, 2021
Wusat-e-Nazar;विस्तृत अभिज्ञता;وسعت نظر ;Ministory;लघु कहानी;افسانچہ
Sunday, February 21, 2021
Imandari;सत्यनिष्ठा ;ایمانداری ; हिंदी लघु कहानी اردو افسانچہ Ministory.
Imandari;सत्यनिष्ठा ;ایمانداری
हिंदी लघु कहानी اردو افسانچہ Ministory.
सत्यनिष्ठा
सेना में दो प्रकार की प्रविष्टि होती है। सीमा के निकट युद्ध क्षेत्र में जहाँ सैनिक सदा युद्ध के लिए मुस्तैद रहते हैं या फिर शांति के क्षेत्र में जहाँ प्रशिक्षण और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर कोई कमी ना रह जाए।
हमारे डिवीज़न में, जो शांति क्षेत्र में स्थित था, हर शनिवार को कोई ना कोई सेना का उच्च अफसर दुसरे अफसरों को मानसिक प्रशिक्षण देने के लिए किसी विशिष्ट विषय पर भाषण देता था।
एक दिन सिग्नल कोर के एक ब्रिगेडियर की बारी आई। विषय था, 'सत्यनिष्ठा तथा वफादारी'
वह अपने विचार व्यक्त कर ही रहा था कि मेरी नज़र बगल में बैठे हुए सिग्नल कोर के एक लेफ्टिनेंट पर पड़ी जो छोटे से नोट पैड पर कुछ लिख रहा था।
"यह क्या कर रहे हो? सामने तुम्हारा बॉस भाषण दे रहा है और तुम हो कि अपना कुछ हिसाब लिखे जा रहे हो। कहीं उसकी नज़र पड़ी तो......?" मैंने प्रश्न अधूरा ही छोड़ दिया।
"सर हमारा बॉस हम को ईमानदारी का उपदेश दे रहा है। लेना ना देना, बातों का जमा खर्च। मैं हिसाब लगा रहा हूँ कि वह अपने वेतन के अलावा सर्कार को प्रति मास कितना चूना लगा रहा है। दो एकड़ ज़मीन पर बंगला। इस में डेढ़ एकड़ पर अनाज और सब्ज़ियों की खेती होती है। यूनिट के सिपाहियों से उस पर मज़दूरी करवाई जाती है। दो गाड़ियां और दो ड्राइवर, एक अपने लिए और एक मेम साहब के लिए। घर में व्यक्तिगत कामों के लिए तीन और सिपाही। इसके अतिरिक्त अच्छी दारू और निजी पार्टियां। यह सब मिला कर चार लाख प्रति मास बन जाते हैं।
मैं अवाक उसको देखता रहा और सोचता रहा कि आज की पीढ़ी कितनी समझदार और निडर हो गई है। खाली खोली उपदेशों से उनका पेट नहीं भरता।