Showing posts with label Insaaf. Show all posts
Showing posts with label Insaaf. Show all posts

Friday, March 19, 2021

Insaaf; न्याय; انصاف ; Ministory;लघु कहानी;افسانچہ

 Insaaf; न्याय; انصاف 
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ 

न्याय 

क्लास में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर ने विद्यार्थियों से पुछा "क्या तुम बता सकते हो कि 'न्याय' क्या होता है।"
सारी कक्षा में सनसनी सी फैल गयी। विद्यार्थी एक दुसरे की तरफ जिज्ञासु नज़रों से देखने लगे मगर कोई कुछ भी न कह पा रहा था। केवल कानाफूसी हो रही थी। 
इतने में आखरी बेंच पर बैठा एक विद्यार्थी उठ खड़ा हुआ और उत्तर देने लगा। 
"सर, न्याय वह होता है जो राजा को आनंदित करे और प्रजा को तसलियाँ देता रहे। 
  

 

Tuesday, February 23, 2021

Insaaf; न्याय ; انصاف ; Ministory;लघु कहानी;افسانچہ

Insaaf; न्याय ; انصاف 
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ 

न्याय 

क्लास में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर ने विद्यार्थियों से पूछा, "क्या तुम बता सकते हो कि 'न्याय' क्या होता है?"
सारी कक्षा में सनसनी सी फैल गई। विद्यार्थी एक दुसरे को प्रश्नात्मक नज़रों से देखने लगे मगर कोई कुछ भी न कह पा रहा था। केवल कानाफूसी हो रही थी। 
इतनी देर में आखरी बेंच पर बैठा एक विद्यार्थी उठ खड़ा हुआ और उत्तर देने लगा, "सर न्याय वह होता है जो राजा को आनंदित करे और  प्रजा को   तुष्टिकरण करके शांत करे।"  

 

Friday, April 17, 2020

Insaaf:انصاف ;न्याय ; Afsancha; लघु कहानी ; افسانچہ

Insaaf:انصاف ;न्याय 
 Afsancha;लघु कहानी ;افسانچہ 

न्याय 

डाक सहायकों की भर्ती  हो रही थी। जिन प्रतियाशियों ने लिखित परीक्षा पास की थी  वह अब मौखिक परीक्षा देने के लिए आए थे। मेरे अलावा दो और साक्षात्कर्ता थे। तीनों मेम्बर बारी बारी प्रश्न पूछ रहे थे और फिर मार्क्स शीट पर उनके प्रदर्शन के हिसाब से नंबर दे रहे थे। 
कुछ समय के बाद एक लड़की की बारी आई। सामान्यतः उसे भी प्रश्न पूछे गए जिनमें से वह कुछ एक के उत्तर दे पाई। इससे पहले कि मैं अवार्ड शीट पर कुछ लिख देता दोनों साक्षात्कर्ता मुझसे संबोधित हुए, "सर यह लड़की हमारे ही डिपार्टमेंट के पोस्ट मास्टर की बेटी है।" वास्तव में वह इशारों में मुझे यह कहना चाहते थे कि इस लड़की को पास करलें, हम तो कर ही रहे हैं। परन्तु मेरी अन्तरात्मा ने मुझे गलत काम करने से रोक लिया। 
सारी रात मैं सो न सका क्यूंकि मेरी चेतना मुझे झिड़कती रही। "तुम्हारी इस कार्यवाही से न्याय बलि चढ़ गया। यह लड़की बाहर जहाँ कहीं भी जाये गी उसे नौकरी इसलिए नहीं मिले गी क्यूंकि वहां सिफारिश या रिश्वत चलती है। चूँकि उसका पिता एक गरीब डाकपाल है वह ना रिश्वत दे सके गा और ना ही  सिफारिश ला सके गा। बेचारी के लिए यह एक अवसर था कि सभी साक्षात्कर्ता  अपने थे परन्तु तुम्हारी ईमानदारी उसके लिए बाधा बन गई।"