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Tuesday, March 16, 2021

Jannat; स्वर्ग; جنّت; Ministory;लघु कहानी;افسانچہ

Jannat; स्वर्ग; جنّت 
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ 

स्वर्ग

स्वर्ग के द्वार पर वहां के दरबान ने उसको रोक लिया और पुछा, "तुमने जीवन में ऐसा कौन सा काम किया है कि तुम्हें स्वर्ग के अंदर जाने दिया जाये।" 
"हज़ूर, मैं ने स्वर्ग पाने के लिए क्या कुछ नहीं किया। तीस नास्तिकों का संहार किया, उन की पत्नियों को विधवा और बच्चों को अनाथ बना दिया जबकि और भी बीस बालक अपाहिज हो गए। इस तरह बाक़ी लोगों को समझ आजाये गा कि नास्तिक होने का परिणाम क्या होता है और खुदा का क़हर किस को कहते हैं। परिणाम स्वरुप वह भविष्य में ईश्वर के आदेशों का नियमित रूप से पालन करें गए।"
"सच, तुम ने तो बहुत बड़ा काम किया है। हमने तुम्हारे जैसे लोगों  के लिए अलग से एक स्थान निर्धारित किया है।  तुम सामने वाली नदी को पार करके सीधे  चले जाओ जहाँ से धुवें के बादल उठ रहे हैं। वहां एक ऐसा ही दरवाज़ा मिले गा। उस जगह पर तुम्हारे स्वागत  के लिए सिकंदर, हलाकू, चंगेज़ खान, तैमूर, हिटलर और मुसोलिनी जैसे बड़े बड़े सूरमा बेचैनी से इंतज़ार कर रहे हूँगे।