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Friday, May 18, 2012

Jhooti Amarat, جھوٹی امارت : (Urdu/Hindi): Afsacha; Laghu Katha; افسانچہ ,

 Jhooti Amarat, جھوٹی امارت  
(Urdu/Hindi)
Afsancha LaghuKahani افسانچہ 
 झूठी शान  

बहुत  दिनों से वह परेशां सा लग  रहा  था परन्तु  किसी पर अपनी दशा  व्यक्त नहीं  की। अंततः  मैंने स्वयं ही  पूछने  की हिम्मत  की। "सुरेश , क्या बात है  कई  दिनों से  उदास  नज़र आ रहे हो?"
उस ने चेहरे  पर बनावटी  मुस्कराहट ओढ़ कर उत्तर दिया , "ऐसी  कोई बात  नहीं है।बस  यूँ ही  थोड़ी  बहुत  वित्तीय  समस्या  है। दुसरे  हफ्ते  मेरे  पिता  सम्मान  बड़े  भाई  शीत कालीन  छुटियाँ  बिताने के लिए  यहाँ आ  रहे  हैं। उन्होंने  हमें  कभी भी  माता पिता  की  कमी  महसूस   होने  नहीं  दी। मेरे साथ  ही  दीदी  के घर  में रहेंगे। अब  मेरा भी तो  कुछ  कर्त्तव्य बनता  है। मैं  चाहता हूँ  की उनको  एक  गरम  सूट  का  कपडा  उपहार  दे दूं। 
सुरेश   ने  अपने पैतृक   गाँव  में  यह बात फैला  रखी थी  की वह  दिल्ली  में अमरीकी  दूतावास  में अफसर हो गया  है जबकि  सत्य यह है की वह अमरीकी सहायता  से चल रहे एक एन जी ओ  में पांच सौ  रुपये प्रति मास  की पगार पर स्टेनो-टायपिस्ट  का काम  कर  रहा है। 
" तुम  चिंता  न  करो, हम  किसी  न  किसी  तरह  से  प्रबंध  कर लेंगे। कितने रुपये की आवश्यकता है? "
"यही  कोई छे सौ रुपये की।"
मैं और मेरे एक  दोस्त  ने अपनी  जेबें टटोल कर  उसे  छे सौ रुपये दे दिए  और वह संतोष हो कर चला गया। 
उस  रोज़  के बाद वह अढाई साल  तक  हर महीने बीस  बीस  रुपये करके  अपना ऋण  उतारता  रहा  परन्तु  गाँव  में उस की ठाठ  बरकरार  रही।