Surprise, سرپرائز :
(Urdu/Hindi)
Afsancha; Laghu Kahani; افسانچہ
सरप्राइज
उस रोज़ जब मैं घर से निकला तो मेरी पत्नी बडी ही उत्सुकता से दरवाज़े तक आई. प्यार भरी नज़रों से मुझे देखा और फिर अलविदा कहने के लिए बोली. "गुड बय डार्लिंग, शाम को जल्दी आना, आज इवनिंग शो देख लेंगे।" वह कुछ ज्यादा ही मेहरबान लग रही थी। मैंने उसके गाल पर चुमी ली और जवाब में कहा, "असंभव, आज ऑफिस में बहुत काम है. सात आठ बज जायेंगे।" दफ्तर पहुंचा तो मालूम हुआ कि बॉस की तबियत ठीक नहीं है और वह दफ्तर नहीं आयेंगे। उनकी सारी इंगेजमेंट्स कैंसल करलीं। पूरी डाक उठा कर उनके घर पहुंचा। दिन का काम जल्दी जल्दी निपटा लिया. फिर सोचा चलो आज श्रीमती जी को ही सरप्रयज़ दें
दो ढाई बजे घर पहुंचा. कॉलबेल दबाई. कुछ देर के बाद दरवाज़ा खुला. सामने नाइट गाउन पहने मेरी बीवी उलझे हुए बालों को समेटती हुई आँखें मूँद रही थी। उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। "तुम, तुम इतनी जल्दी.....! सब ठीक तो है न?" उसके लहजे में ताजुब और परेशानी साफ़ नज़र आ रही थी. वह मुड कर अन्दर जाने लगी और मैं पीछे पीछे हो लिया। "खाना खाया है या फिर होम सरविस से मंगवा लूं?" डायनिंग टेबल पर बिखरे हुए बर्तनों की तरफ इशारा करते हुए वह कहने लगी,"दरअसल मेरी सहेली आरती आई थी और हम दोनों ने इकठे लंच कर लिया. वह ज़रा जल्दी में थी इस लिए ज्यादा दैर नहीं ठहर सकी।" मुझे उसकी बातों पर यकीन करने के सिवा और कोई चारा न था। मुझे एहसास हुआ कि मैं जल्दी वापस आकर उसकी प्राइवैसी में दखल अंदाज़ हुआ। डस्ट बिन में पडे हुए सिगरेट के टुकड़े उसकी बातों को झुटला रहे थे. या फिर ऐसा भी हो सकता है कि आरती सिगरेट पीने कि आदी हो. कौन जाने सच क्या है?