Showing posts with label Bookreview. Show all posts
Showing posts with label Bookreview. Show all posts

Saturday, February 10, 2024

Novel Azadi Par Ek Tayrana Nazar ; Novelist: Deepak Budki; Reviewer: Premi Romani

 

Novel Azadi Par Ek Tayrana Nazar
Novelist: Deepak Budki; Reviewer: Premi Romani







Thursday, June 9, 2022

Kitabon Ka Qabristan: An Analysis of the story 'Phata Hua Album'-Rushda Jameel; کتابوں کا قبرستان- دیپک بدکی کے افسانے 'پھٹا ہوا البم' کا تجزیہ- رشدا جمیل



Kitabon Ka Qabristan: An Analysis of the story 'Phata Hua Album'-Rushda Jameel
کتابوں کا قبرستان- دیپک بدکی کے افسانے 'پھٹا ہوا البم' کا تجزیہ- رشدا جمیل 





 

Tuesday, April 14, 2020

Asasa:اثاثہ संपत्ति ; Afsancha;लघु कहानी;افسانچہ

Asasa:اثاثہ संपत्ति 
 Afsancha;लघु कहानी;افسانچہ 

संपत्ति 

"कल आधी रात को मेरे घर में कोई चोर घुस आया और कमरे की अलमारियों की तलाशी लेने लगा।" प्रोफेसर खुर्शीद विद्यार्थियों से संभोधित हुआ। "चोर की आहट पाकर मैं ख़ामोश रहा। फिर चुपचाप बिस्तर से उठकर मैं उसके पीछे खड़ा हो गया और अलमारी पर टोर्च की रोशनी डाल दी। सामने अलमारी में किताबें ही किताबें थीं।" उसके बाद मैंने चोर से कहा, "भाई यही संपत्ति है मेरे पास। जो भी किताब पसंद आये उठा कर ले जाओ। मैं केवल रौशनी दिखा सकता हूँ।"
चोर की नज़र ज्यूंही मुझ पर पड़ी वह घबरा कर भागने की कोशिश करने लगा परन्तु मैं उसके रास्ते में खड़ा हो गया। "क्यों भारी लगती हैं क्या?"
उसने मेरे पैर पकड़ लिए और कहने लगा, "जनाब मुझे माफ़ कर दो, मैं ग़लत घर में घुस आया हूँ। मुझे जाने दो। इन किताबों से मेरा क्या काम?"
"यही तो ग़लतफ़हमी है तुम्हारी। इनसे दोस्ती की होती तो आधी रात को यहाँ चोरी करने नहीं आते।"        



Monday, April 13, 2020

Qalam Ki Dhar: क़लम की धार; قلم کی دھار ; Afsancha; लघु कहानी ; افسانچہ

Qalam Ki Dhar: क़लम की धार; قلم کی دھار  
 Afsancha;लघु कहानी ;افسانچہ 
क़लम की धार 

उस की तलाक़शुदा बीवी से किसी रिश्तेदार ने पुछा, "तुम्हारे बारे में तुम्हारा पूर्व-पति अनाप शनाप लिखता रहता है। वह तुम्हारे चरित्र पर हमेशा कीचड़ उछालता है। वह जो कुछ लिखता है क्या वह सच है?"
बीवी का चेहरा संजीदा और संगीन हो गया। उत्तर दिया, "उसके पास तलवार जैसी क़लम है, सच को झूट और झूट को सच बना सकता है, मैं कैसे रोक सकती हूँ। मैं ठहरी अनपढ़ गँवार औरत, अपनी सफाई किसके सामने पेश करूँ। मैं ही एक इकलौती लेखक की पत्नी तो हूँ नहीं जो अपने पति की  क़लम से लहूलुहान हो रही है, यह तो सदियों से यूँ ही चला आ रहा है।"       

Saturday, March 26, 2016

Krishan Chander Ki Zehni Tashkeel: کرشن چندر کی ذہنی تشکیل ;(Urdu/Tabsera); Author: Mohd Owais Qarni: Reviewer: Deepak Budki

Krishan Chander Ki Zehni Tashkeel:
کرشن چندر کی ذہنی تشکیل 
Author: Mohd Owais Qarni 
Reviewer: Deepak Budki





                                                                                 










Friday, April 18, 2014

Chinar Ke Panje:चिनार के पंजे (Hindi/हिंदी); Author: Deepak Budki; Reviewer: Govardhan Yadav



Chinar Ke Panje:चिनार के पंजे 
(Hindi/हिंदी)
Author:DeepakBudkiReviewer:GovardhanYadav


पुस्तक समीक्षा – चिनार के पंजे

clip_image002 clip_image004 clip_image006

चिनार के पंजे:
 कहानीकार: श्री दीपक बुदकी

चिनार का नाम लेते ही जम्मु-कश्मीर की हसीन वादियों का दृष्य आखॊं के सामने थिरकने लगता है. ऊँची-नीची पहाडियाँ, पहाडियों के बीच इठलाती-बलखाती बहती झेलम, डल झील, डल झील में तैरती नौकाएँ-सैलानी, देवदार तथा चिनार के छतनार पेड, गुलमर्ग, सोनमर्ग,पहलगाम, सोनमर्ग, पत्निटाप, और अमरनाथ और भी न जाने कितने ही सुहावने मंजरों की याद ताजा हो आती है. कश्मीर के स्वादिष्ट अखरोट की याद आते ही मुँह में रसप्लावित होने लगता है. फ़िर पश्मिना-शाल शरीर को गर्माने लगती है. क्या नहीं है इस जन्नत सी वादियों में ? धरती पर यदि कहीं स्वर्ग है तो यहीं पर है-यहीं पर है. दुर्भाग्यशाली हैं वे लोग जो इस धरती पर पसरे स्वर्ग के दर्शनलाभ नहीं उठा पाए.

कहते हैं कि कश्यप ॠषि के नाम पर “कश्मीर” का नाम संस्करण हुआ. प्रख्यात कवि राजतरंगिनी ( 1148-1150 ई) में इस बात को उल्लेखित किया है. इसी धरती पर उगा एक छतनार पेड है, जो अपनी शीतल छाँव और सुगन्धित फ़ूलों के लिए हर घर की शान और पहचान बना हुआ है, जिसका नाम “चिनार’ है, इसका वैज्ञानिक नाम पापुलस (POPULUS) है, आज संकट के दौर से गुजर रहा है. आतंकवादियों से निपटने के लिए इस पेड की अंधाधुंद कटाई की जा रही है. सन 1989 से अब तक तीस हजार पेड बेरहमी से काट डाले गए. करीब बारह हजार से ज्यादा पेड सूख गए. देखते ही देखते सारा दृष्य बदल गया और आज स्वर्ग सी इस वसुन्धरा की वादियों में बारुद की गंध भर चुकी है और इसकी धरती गोलियों की गडगडाहट से जब तब कांप-कांप उठती है.
इसी कश्मीर की हसीन वादियों में जन्में श्री दीपक बुदकी (आई.पी.एस.) सेवानिवृत्त, मेम्बर पोस्टल सर्विसिज बोर्ड, नई दिल्ली ) का कहानी संग्रह “चिनार के पंजे “सन 2005 में उर्दू में प्रकाशित हुआ जिसे चन्द्रमुखी प्रकाशन, नई दिल्ली ने सन 2011 में हिन्दी में प्रकाशित किया. आपके अब तक “अधूरे चेहरे” उर्दू तथा हिन्दी में क्रमशः 1999 तथा 2005, चिनार के पंजे( 2005-2011) , जेबरा क्रासिंग पर खडा आदमी (2007), उर्दू आलोचना “असरी तहरीरें(2006) तथा असरी श’अर (2008) में प्रकाशित हुए . आपने कश्मीर समस्या का उद्भव एवं अनुच्छॆद 370-एन.डी.सी. को प्रस्तुत किया गया शोध-प्रबन्ध प्रकाशित हो चुका है. आपको अनेकानेक संस्थाओं ने सम्मानीत-पुरस्कृत किया है.
आपका एक कहानी संग्रह “अधूरे चेहरे” बाबद समीक्षा आलेख लिखने के लिए मुझे. श्री कृष्णकुमार यादवजी, तत्कालीन डायरेक्टर पोस्टल सर्विसेस कानपुर के सौजन्य से यह प्राप्त हुआ. इसी क्रम में आपका दूसरा कहानी संग्रह “चिनार के पंजे” भी मुझे श्री कृष्णकुमार यादवजी के मार्फ़त ही प्राप्त हुआ, जो वर्तमान में अलाहबाद में पदस्थ हैं. चिनार के पंजे में उन्नीस कहानियाँ हैं, जिसमें कश्मीर के वर्तमान हालातों पर लिखी गईं कहानियाँ – मुखबिर, एक निहत्थे मकान का रेप, चिनार के पंजे, व्यूग, सफ़ेद क्रास, टक शाप, वफ़ादार कुत्ता तथा विभिन्न परिवेशों पर लिखी गई अन्य कहानियों का अनूठा संग्रह है.
अम्मा कहानी एक बेबस-बेसहारा महिला के इर्दगिर्द घूमती कहानी है जो अपने उदर-पोषण के लिए शराब बेचती है.. मुखबिर कहानी में एक ऎसे दंपत्ति “नीलकण्ठ और अरुंधती ”की करुण दास्तां है, जिसका लडका वीरु अमेरिका में बस गया है. वह अपने माता-पिता से बार-बार आग्रह करता है कि वे उसके पास आ जाए. लेकिन मातृभूमि के प्रेम के मोहपाश में जकडॆ युगल जाने का मन नहीं बना पाते. आतंकवादियों ने उनके मकान को चिन्हित कर दिया है ताकि उनका सफ़ाया किया जा सके. निशान देखकर अरणी घबरा उठती है और आशंका-कुशंका के चलते घास के तिनके तो तोडकर और उस पर थूककर फ़डकती आँख पर चिपका लेती है. लेखक ने यहाँ एक टोटके को प्रयुक्त किया है जो अक्सर. अनिष्ट को टालने के लिए सामान्यतया कई जगह प्रयोग में लाया जाता है. आखिरकार यह केवल मन को समझाने का आसान तरीका भर होता है. आखिर वही होता है जिसकी आशंका मन को मथे डाल रही थी. एक रात आतंकियों ने उन दोनो को भून डाला. कहानीकार ने इस युगल को पहले ही मृत घोषित कर दिया. मेरे मतानुसार उनके जिंदा रहते हुए आतंकी उन्हें घेरते और फ़िर फ़ायरिंग करते, इस दृश्य़ को और पुरजोर तरीके से लिखा जा सकता था. खैर. अखबारों में खबर प्रकाशित होती है-“हब्बाकदल में मुजाहिदियों ने नीलकण्ठ और अरुंधति नाम के दो मुखबीरों को हलाक कर दिया. उन पर संदेह था कि वे फ़ौज की गुप्तचर एजेंसी के लिए काम कर रहे थे” कहानी कमजोरी के बावजूद भी असरकारक बनी है. मोची पिपला” कहानी में खैरातीलाल चमढेवाली की कहानी है, जो गरीबी से ऊपर उठते हुए अमीर फ़िर एक प्रभावशाली नेता बन जाता है. उसकी लडकी पारो उर्फ़ पार्वती अपने सजातीय लडके से प्यार करती है. शादी भी तय होजाती है, लेकिन नेता बने खैरातीलाल को उस लडके से नफ़रत हो जाती है और वह कई जुल्म ढाता हुआ उसके घर को आग के हवाले कर देता है. ”एक निहत्थे मकान का रेप” में आतंकियों के डर से मकानमालिक घर के कुंदे में ताला डालकर भाग निकलता है. देखते ही देखते आसपास-पडौस के लोग खिडकी, दरवाजे निकाल कर ले जाते है. बाद में उसमें आग लगा दी जाती है. ताला वहीं जमीन में दब जाता है. क्रिकेट खेलते बच्चे जब अपना स्टंप गाडने की कोशिश करते हैं, तो वह धंस नहीं पाता. हल्की खुदाई के बाद सोने जैसी चमक दीखती है. अतं में पता चलता है कि वह चमकदार वस्तु ताला है. इस कहानी में कश्मीरी शब्द “अडस” को प्रयोग में लाया है, जिसका अर्थ बराबर का हिस्सेदार होना बतलाया गया है. मांगे का उजाला” एक मिलिट्री आफ़िसर की पत्नि को अस्पताल में बच्चा पैदा होता है. बच्चा बदलने की घटना घटती है. अस्पताल में कार्यरत नर्स मीनाक्षी उस अफ़सर के प्रति आसक्त होती है, उस नर्स की शादी तय हो जाती है, बावजूद इसके वह उस अफ़सर से अपने लिए एक बच्चा चाहती है. अपने प्रयास में वह सफ़ल होती है और बच्चे को अपनी माँ को सौंपकर विदेश अपने पति के पास चली जाती है. चिनार के पंजे” कहानी में चिनार के पत्ते के माध्यम से कहानीकार ने कश्मीर के परिवेश को, उसके दर्द को, उसकी पीडा को अभिव्यक्ति दी है. “उम्मीद जिन्दगी की अफ़ीम है”,” जो एक बार अपनी मिट्टी से उखड जाता है, दुबारा जड नहीं पकडता. मुसिबतों को सहने के लिए साहस ही पर्याप्त नहीं होता, शक्ति और साधन भी तो होने चाहिए”, “आशाएं जिन्दा है, वे भी जिन्दा रहने के लिए नए-नए रस्ते ढूंढ लेंगे”, “फ़िर रह जाते हैं फ़ासिल, जो जीवाश्म और पुरावशेष……..नस्लों को घसीटते हुए चले जा रहे हैं”, “आखिर कब तक हम यूं ही अपने आप से डरते, भागते और छिपते फ़िरेंगे?” जैसे शब्दावलियाँ इस कहानी को जीवन्त और धारदार बनाती है. कहानी व्यूग- व्यूग एक कश्मीरी शब्द है, जिसका अर्थ है “रंगोली” बेलबुटे के लिए “क्रूल ”शब्द है जिसका प्रयोग कहानीकार ने किया है. यह सराहनीय प्रयोग है. इससे नए शब्दों से परिचय होता है और पाठक की शब्द संपदा बढती है. “प्रेम में कायरों के लिए कोई स्थान नहीं होता, मगर हम दोनो ही डरपोक थे” ,ईश्वर ने मूसा को कोहेतूर पर अपने दर्शन दिए थे”,जैसे वाक्य इस कहानी को धार देते लगते हैं. कहानी सफ़ेद क्रास, टकशाप, वफ़ादार कुत्ता कहानियाँ कश्मीर की व्यथा-कथा, आतंकियों से दहशत पर लिखी गईं मार्मिक कहानियाँ हैं. कहानी मूक-अमूक, प्रतिवाद और आओ कुछ और लिखें भी अच्छी कहानियाँ बन पडी हैं.
कहानीकार ने अपनी कहानियों के माध्यम से कश्मीर के लोगों की रोजमर्रा की कशमकश, उसमें बिंधी इच्छाएँ, शंकाएँ-कुशंकाएँ, विस्मृतियाँ, विडम्बनाएँ, आतंक, दमन, उत्पीडन, भूख और मृत्यु के बीच जीवन जीने की लालसाओं को गुंफ़ित किया है, और अप्रत्यक्षरुप से यह प्रश्न उठाया है कि जो कुछ भी हमारे चारों ओर निर्लज्जतापूर्वक जो नंगा नाच हो रहा है, क्या उसकी कोई सीमा भी है अथवा नहीं, या यह निरन्तर चलता ही रहेगा? इन मार्मिक दृष्यों से गुजरते हुए मुझे नागार्जुनजी याद आते हैं. इन्ही वेदनाओं से आक्रान्त होकर शायद उन्होंने लिखा था;-
एक- एक पग बिंधा हुआ है दिशा शूल से, डर लगता है बलिवेदी के लाल फ़ूल से* क्रियाहीन चिन्तन का यह कैसा चमत्कार है, दस प्रतिशत आलोक और बस अन्धकार है..
कहानी संग्रह “चिनार के पंजे” की सारी कहानियाँ, कहानीकार के आत्म का पारदर्शी प्रतिरुप है. छल-छद्म और दिखावेपन के बुनावटॊं से दूर, लाभ-लोभ वाली आज की खुदगर्ज दुनियाँ में एक सरल-सहज-निर्मल प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ-बधाइयाँ, इस आशा के साथ कि आने वाले समय में उनके नए संग्रह से परिचित होने का सुअवसर प्राप्त होगा.


प्रस्तुति -
गोवर्धन यादव
103, कावेरीनगर,छिन्दवाडा(म.प्र.) 480001

(सेवानिवृत्त पोस्ट्मास्टर(H.S.G.1)
संयोजक राष्ट्रभाषा प्रचार समिति
आगे पढ़ें: रचनाकार: पुस्तक समीक्षा – चिनार के पंजे http://www.rachanakar.org/2014/04/blog-post_17.html#ixzz2zGDVdrKy