Raftar,SamardarDarakht,Ravan,
AndheKiLathi,Cigarette
رفتار ؛ثمردار درخت ؛راون؛اندھے کی لاٹھی؛سگریٹ
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HindiLaghuKahaniyan हिंदी लघु कहानियां
गति
माया अपनी खिड़की से डामर बिछी सड़क पर घंटों ट्रैफिक की आवाजाही देखना पसंद करती है। बसों, ट्रकों, कारों, मोटर साइकिलों, स्कूटरों और पथिकों का कभी न ख़त्म होने वाला दृश्य उसे बहुत अच्छा लगता है। तेज़ गति से उसको अत्यधिक अभिरुचि है। तेज़ गाड़ी को देखकर वह ख़ुशी से झूम उठती है।
कल एक अजीब सी घटना घटी। एक खाली ट्रक दनदनाते हुए, हवा से बातें करते हुए सामने से निकल गया। यह कोई नई बात नहीं थी। प्रायः ट्रक जितना खाली होता है उतनी ही तेज़ गति से दौड़ता है। माया को ट्रक की रफ़्तार देखकर अजीब सा आनंद आ रहा था। वह मन ही मन में ड्राइवर को शाबाशी दे रही थी। "शाबाश तेज़... और तेज़... इससे भी तेज़....!"उस की आँखें ट्रक का पीछा कर रही थीं परन्तु होंठ सिले हुए थे।
एक मनुष्य जो फूँक-फूँक कर क़दम उठाने का आदी है बहुत समय से ट्रैफिक के कम होने के इंतज़ार में सड़क की एक तरफ खड़ा था। ट्रैफिक की आवाजाही को देख कर वह सड़क पार करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
ट्रक अभी ज़्यादा दूर नहीं जा चूका था कि टायर घिसटने की ज़ोरदार आवाज़ आई और ऐसा लगा कि ट्रक के पहियों को तेज़ी से रोकने की कोशिश की गई हो। पहियों के नीचे एक दरिद्र और अनाश्रित बूढा, जिसने ज़िन्दगी में कभी गलती से भी कोई नियम तोड़ने की कोशिश नहीं की थी, कुचला जा चूका था। आज भी वह सावधानी से दाएं-बाएं देखकर ज़ेबरा क्रासिंग पर सड़क पार कर रहा था कि ना जाने कहाँ से ट्रक प्रकट हुआ। देखते ही देखते उसके शरीर से रक्त का फव्वारा फूट पड़ा और सड़क पर फैलता चला गया।
पुलिस ने घटना की जगह पर ट्रक ड्राइवर बलदेव सिंह और ट्रक मालिक सेठ दौलत राम के नाम ऍफ़ आई आर दर्ज की।
फलदार वृक्ष
हाजी सन्नाउल्लाह अपने सेबों के बागों के बीचों बीच जा रहा था कि अनवर दौड़कर उसके पास आया और फिर उसके साथ हो लिया। पेड़ फलों से लद्दे हुए थे। हाजी साहब ने उनकी ओर इशारा करते हुए अपने पुत्र को मार्गदर्शन हेतु कहा, " अनवर बेटे, देखो इन फलों से भरे हुए पेड़ों को, इन सब की शाखाएं धरती की और झुकी हुई हैं। पेड़ पर जितना अधिक फल होता है उतना ही वह झुक जाता है। हमें इस से सीख लेना चाहिए।"
अनवर थोड़ी देर चुप रहा किन्तु फिर उसे रहा न गया। "अबू जान, आपका अवलोकन अनुचित है। यह अनिवार्य नहीं है कि फलों से भरा हुआ हर वृक्ष झुका हुआ हो। आप हाल ही में हज करने गए थे क्या आपने वहां खजूर के पेड़ नहीं देखे? सुपारी, नारियल और केले के पेड़ों के बारे में सुना तो होगा अगर देखा ना हो। सब स्तम्भ के समान उगते हैं, कहीं कोई शाखा नहीं होती और इन के सीधे तने के ठीक ऊपरी सिरे पर भारी भरकम फल लगते हैं। यह सच है कि सेब, नाशपाती, चेरी और आड़ू आदि की शाखाएं फलों के बोझ से झुकी रहती हैं मगर यह निष्कर्ष सभी वृक्षों पर लागू नहीं होता।"
बेटे का उत्तर सुन कर हाजी साहब अवाक् हो गए।
रावण
दशहरे की रात मैं और मेरा बेटा राम लीला मैदान में रावण के पुतले को जलता छोड़ कर वापस अपने घर लौट रहे थे कि मेरे बेटे ने मुझे संबोधित किया, "पापा इस रावण का दहन क्यों किया जाता है?"
"बेटे रावण एक राक्षस था जिसने भगवान श्रीराम की निर्मल और सौम्य पत्नी सीता जी का अपहरण किया था। सीता जी को वापस पाने के लिए राम जी ने उसकी लंका ढहा दी और उसको मार डाला।"
"वह तो एक बार हो गया पर हम हर वर्ष रावण के पुतले को क्यों जलाते हैं। क्या वह हर वर्ष दोबारा जन्म लेता है?" वह भोलेपन से पूछने लगा मगर मुझे यूँ लगा कि उसकी बात में बड़ा वज़न है।
मैं असमंजस में पड़ गया। वास्तविकता तो यही है कि दहन के बाद रावण हर वर्ष फ़ीनिक्स पक्षी की मानिन्द दुबारा जन्म लेता है और हमें उसको फिर से अग्नि को अर्पण करना पड़ता है। मगर यह बात मैं अपने बेटे को कैसे समझाता इसलिए मैंने बात काटते हुए उत्तर दिया, "बेटे यह त्यौहार हर वर्ष हम इसलिए मनाते हैं ताकि हमें यह याद रहे कि बुराई की हमेशा हार होती है और अच्छाई की जीत।"
फिर दोनों चुप-चाप चलते रहे परन्तु मैं सोचने लगा कि इस सांकेतिक अभिव्यक्ति से भी कौनसा फ़र्क़ पड़ता है। हम लोग हर वर्ष मनोरंजन के लिए यह तमाशा करते हैं मगर अपने अंदर के रावण को कौन जलाता है।
अंधे की लाठी
सिराजुद्दीन ने पीo एचo डीo के लिए अपने अनुसन्धान का विषय 'तवाइफ़ का पेशा - कारण और रोकथाम' चुन लिया। कई वेश्यालयों की खाक छानी और कई वारांगनाओं का साक्षात्कार लिया। इनमें से एक वैश्या के साथ हुई बात-चीत काफी महत्वपूर्ण थी। उसे यहाँ नक़ल कर रहा हूँ।
"इस पेशे में आने का क्या कारण था?" सिराजुद्दीन ने प्रश्न किया।
सकीना हंस दी और फिर कहने लगी, "एक कारण यह था की मैं एक गरीब किसान की बेटी थी। दूसरा कारण यह था की तीन साल लगातार हमारी धरती वर्षा की बूंदों के लिए तरस गई और मेरे अबू क़र्ज़ में डूब गए। हिम्मत हार कर उन्होंने आत्महत्या कर ली। माँ ने चार बच्चों का बीड़ा उठा लिया। पहले घर-घर काम शरू किया और फिर जिस्मफरोशी के दलदल में फँस गई। तीनों बेटे एक एक करके माँ को छोड़ कर शहर की भीड़ में ना जाने कहाँ खो गए। माँ की हालत पर तरस खा कर मैंने एक दलाल से पांच हज़ार लेकर माँ को दे दिए और स्वयं इस शहर में अम्माँ के हाँ शरण ली।
"घर की याद नहीं आती?"
"वहां रखा ही क्या है। क़र्ज़ा उतारने के लिए ज़मीन बिक गई। बेटे जिनके लिए मन्नतें मांगी गई थीं वह ग़ायब हो गए। अब बूढी माँ बची थी सौ उसको हाल ही में यहाँ लेकर आगयी।
सिराजुद्दीन सोच में पड़ गया कि माता-पिता बेटों के लिए मन्नतें क्यों मांगते हैं।
सिगरेट
आम पत्नियूं की तरह मेरी पत्नी ने भी विवाह के कुछ दिन बाद ही मुझ पर शासन करने की ठान ली। कहने लगी, "आप यह सिगरेट पीना छोड़ दीजिये, मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता है। मुझे उसके रोबदार स्वर से इतना आश्चर्य नहीं हुआ जितना इस बात पर कि विवाह से पूर्व हमारा मुआशिक़ा करीब पांच साल चलता रहा और हम कई बार किसी बाग़ या रेस्टोरेंट में मिलते रहे। बातों-बातों में मैं उसके सामने दो-तीन सिगरेट फूँका करता था। उसने कभी भी मुझे सिगरेट पीने पर नहीं टोका। इसके विपरीत वह मेरे सिगरेट पीने को सराहती और उसमें भी रोमांस तलाश करती। अगर मेरी याददाश्त मुझे धोका नहीं दे रही है उसने खुद भी कई बार मेरे हाथ से सिगरेट छीन कर दो चार कश लगाए और फिर कुछ देर खांसती रही।
खैर मैंने थोड़ी देर सोच कर उत्तर दिया, "तुम्हें मालूम है कि मैं दस साल का था जबसे मैं सिगरेट पी रहा हूँ जबकि तुम पांच साल पहले मेरी ज़िन्दगी में आई। अगर आज में एक नए दोस्त के कहने पर पुराने दोस्त को छोड़ दूँ तो क्या यह मुमकिन नहीं कि कल मैं किसी और के कहने पर तुम्हें छोड़ दूँ?"
वह मेरी बात का मतलब समझ गई और उसके बाद फिर कभी मुझको सिगरेट छोड़ने को नहीं कहा।
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