Ever Ready, ایور ریڈی :
(Urdu/Hindi)
Afsanacha;Laghu Katha; افسانچہ
मैं एवररेडी बैट्री की बात नहीं कर रहा हूँ बल्कि अपने एक दोस्त की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिस को हम एवररेडी के नाम से बुलाते थे.
मोहले में जब किसी बुज़ुर्ग को दूध, दही, सिगरेट , या तम्बाको की आवश्यकता पड़ती थी वह बिना किसी झिझक के उसे बुलाते थे. गर्मी हो या सर्दी, बारिश हो या बर्फ़बारी , उस ने कभी किसी का दिल नहीं दुखाया. मैं एवररेडी के इस व्यव्हार से आश्चर्यचकित होजाता. आखिर एक बार पूछ ही बैठा ," यार तुम ने हमारी छवि ही ख़राब कर दी है.जब भी कोई तुम्हें काम के लिए बुलाता है तुम झट से हाज़िर हो जाते हो.आखिर बात क्या है "
"यार तुम से क्या छिपाना . दूध हो या दही, मैं हमेश शाबान गुरू से खरीद लेता हूँ. थोड़ी दूर तो जाना पड़ता है पर वह एक पाऊ की कीमत बाज़ार से दो पैसे कम लगाता है और वह दो पैसे मैं अपने लिए रख लेता हूँ. तम्बाको सिगरेट लाने में भी कुछ ऐसा ही फायदा समझ लो.
मैं ने इसे ज्यादा जानकारी लेना उचित नहीं समझा.अलबता एक दिन उसके पिताजी ने मुझे रास्ते में रोक लिया और अजीब सी विवशता प्रकट की,"रोशन तुम अपने दोस्त को क्यूँ नहीं समझाते . दो दिन पहले मैं ने उसको महीने का राशन लाने के लिए पचास रुपये दिए थे. कुछ दैर के बाद वह आया और कहने लगा की रुपये मेरी जेब से न जाने कहाँ गिर गए. फिर मुझे पता चला की वह सुख राम पंसारी से सिगरेट उधार लिया करता था और वह सारा रूपया उसी पंसारी को देकर आगया. मैं उस को कुछ कह नहीं पाता क्यूंकि वह मेरी पहली बीवी का बेटा है. तुम तो उस के करीबी दोस्त हो , शायद तुम्हारी बात मान जाये. बेटे मैं एक गरीब मास्टर हूँ, तीन लड़कियां सर पर सवार हैं. फिर भला बताओ ऐसे खर्चे मैं कैसे बर्दाश्त कर सकता हूँ."
अंकल का दिल रखने के लिए मैंने उन्हें झूठी तस्सली दी परन्तु इतना मालूम था की एवररेडी कब किसी की सुनता है.
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