Khud Kushi،خود کشی
(Urdu/Hindi)
Afsancha Laghu Kahani افسانچہ
आत्महत्या
घरेलु परेशानियों से तंग आकर पिछले रविवार प्रातः सात बजे के करीब मैं आत्म हत्या करने के लिए घर से निकल पड़ा और यमुना नदी के किनारे खड़ा हो गया। अचानक मेरी नज़र एक खूबसूरत औरत पर पड़ी जो कुछ ऐसे ही इरादे से वहां आई थी। मुझ से रहा न गया और दौड़ कर उसके पास पहुँच गया कि कहीं वह इस बीच छलांग न लगाये।
"महोदया जी, आत्म हत्या करना बहुत बडा पाप है। आप को ऐसा नहीं करना चाहिए." मेरे मुंह से ना जाने क्यूँ यह शब्द उबल पड़े।
"मेरे पास और भी तो कोई चारा नहीं है। मैं ज़िन्दगी से तंग आचुकी हूँ।"
"ज़िन्दगी से लड़ने में जो मज़ा है वह भागने में नहीं। आप पढ़ी लिखी मालूम होती हैं। अपने पाँव पर खड़े होकर मुसीबतों का सामना कर सकती हैं. फिर ऐसी हरकत आपको शोभा नहीं देती है।"
मेरी बातों का उसपर इतना असर हुआ कि वह पलट कर वापस चली गयी। तब तक मैं भी भूल चूका था कि मैं किस काम से यहाँ आया था। जल्दी जल्दी घर पहुंचा और सीधे अपने बेडरूम में चला गया। मेरी बीवी हाथ में मेरा खुदकुशी का नोट लिए बिस्तर ठीक कर रही थी।
मुझे देखते ही कहने लगी , "क्यूँ लौट आये। तुम्हारी यह गीदड़ भुभकियाँ तो मैं कई बार सुन चुकी हूँ। मुझे यकीन था कि तुम उलटे पैर लौट आओगे।"
Aisa hota hai.. kai baar humare andar ke positive vichaar , zindgi ki jung me dab jate hain.. Lekin ye vichar sirf dab jate hain , khatm nahi hotey hain..Jab hum apna pratibimb kisi dusre ke roop me dekhte hain to ye vichaar jagrit ho jate hain aur zindgi ki jung me ek hathiyaar ke roop me kaam aatey hain.. Isiliye to kaha jata hai ki humesha psoitive sochen.. "Think positive be optimistic"
ReplyDeleteYe Apki Mini story mujhe kafi pasand aayi.. padhne ke baad kahin na kahin kuch seekhne ko hi mila.. Thank you for sharing it
Thanks Sanjeev Hingwasia for your thoughtful comments.
Delete