Court Martial, کورٹ مارشل :
(Urdu/Hindi)
Afsancha; Laghu Kahani; افسانچہ
कोर्ट मार्शल
यह एक सची कहानी है. सम्मरी कोर्ट मार्शल के तीन जजों में एक मैं भी था. एक फौजी लेडी डॉक्टर ने हमारे रूबरू खड़े सिख सिपाही के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी कि जब वह नहा रही थी तो एक सिख सिपाही ने बाथ रूम की खिड़की से अन्दर झाँका था और वह विश्वास के साथ कह सकती है कि यही वह सिपाही है.
मैं सोच में पड़ गया कि उस की नज़र जब खिड़की की ओर उठ गयी होगी तो वह ज़रूर भोख्लाई होगी ओर स्वाभाविक प्रवृति के कारण उसने पहले अपने नंगे शरीर को ढांपने की कोशिश की होगी. उस के कहने के अनुसार सिपाही देखते ही भाग गया था . डॉक्टर ने तो क्षण भर के लिए ही सिख सिपाही का चेहरा देखा होगा जो अधिकतर दाढ़ी से ढाका छुपा रहता है फिर उसने इतनी ही देर में उस के चेहरे को कैसे याद रखा होगा?
परन्तु यहाँ समस्या पहचान की नहीं थी बल्कि फौजी अफसर और वह भी लेडी अफसर की प्रतिष्ठा की थी . सिख सिपाही चाहे कोई भी हो किसी न किसी को तो सज़ा देनी ही थी. इसलिए तीनों जजों ने एकमत से सिपाही को पंद्रह दिन कैद की सज़ा सुनाई.
मेरी अंतरात्मा आज तक मुझे कचौकती रहती है जबकि इन्साफ फटी पुरानी फाइलों में कब का दम तोड़ चुका है.
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