Monday, February 22, 2021

Alzheimers:अल्झाइमर रोग; ایلزائمرس ; Ministory;लघु कहानी; افسانچہ

Alzheimers:अल्झाइमर रोग; ایلزائمرس  

Ministory;लघु कहानी; افسانچہ 

अल्झाइमर रोग 

मैं गाश लाल की खबर मोबाइल से समय-समय पर लेता था क्यूंकि वह मेरे घनिष्ट मित्र के पिता थे। एक दिन उसने अपना दुखड़ा सुनते हुए कहा, "मेरे बेटे ने मेरी आवाजाही पर रोक लगाई है। बेटा और बहु दोनों घर में ताला लगा कर चले जाते हैं।"

मुझ से रहा ना गया और तुरंत मित्र से संपर्क कर लिया। उसने उत्तर देते हुए कहा, "भाई यह मुंबई नगर है। मैं और मेरी पत्नी दिन में काम करने जाते हैं। पिता जी को अल्झाइमर रोग के कारण कुछ भी याद नहीं रहता। वह कभी कभार हमें भी पहचान नहीं पाते। भगवान न करे अगर वह कहीं बाहर सड़क पर निकल गए और किसी गाड़ी के नीचे आ गए या फिर कहीं दूर चले गए तो उन्हें वापिस घर कौन लाये गा?"

मोबाइल बंद होते ही मुझे मां की तीस साल पुरानी एक बात याद आ गई। गाश लाल और उस के छोटे भाई में इस बात पर बहुत झगड़ा हुआ था कि उनके बूढ़े और दुर्बल पिता का बोझ कौन उठाये गा? पड़ोसियों की मध्यस्थता के कारण बूढ़े के लिए कमरे के बाहर सीढ़ी के नीचे बनी हुई कोठरी में उससे स्थान दिया गया और दोनों बेटे बारी बारी उस को खाना डाल दिया करते थे। अंततः वह उसी स्थान पर एड़ियां रगड़-रगड़ कर मर  गया था। 

समय का पहिया इतनी जल्दी घूम सकता है किसी ने सोचा भी ना होगा।


      

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