Friday, February 26, 2021

Dosti Ka Asool;दोस्ती का सिद्धांत;دوستی کا اصول ; Ministory;लघु कहानी;افسانچہ

Dosti Ka Asool;दोस्ती का सिद्धांत;دوستی کا اصول 
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ 

दोस्ती का सिद्धांत 

पिता जी सदा इस बात पर चिंतित रहे कि मुझे अपने दोस्तों का उचित चुनाव करना नहीं आता। एक दिन बड़ी राज़दारी से कहने लगे, "बेटे दोस्ती ऐसे लड़कों से करनी चाहिए जो तुमसे अधिक होशियार और बुद्धिमान हूँ।"
उनके परामर्श के अनुसार मैंने अपने वर्तमान दोस्तों को त्याग दिया और अपने से बेहतर लड़कों को दोस्त बनाने की कोशिश करने लगा। मगर कोई भी बुद्धिमान लड़का मेरे साथ दोस्ती करने को तैयार न हुआ। शायद उनको भी अपने से ज़्यादा गुणी लड़कों की तलाश थी। मैं पूर्णतः अलग थलग पड़  गया। उधर पुराने दोस्त गए और इधर नए दोस्त भी ना मिले। 
बचपन के एक साथी ने जब यह बात सुनी तो तरस खा कर  समझाया, "अगर तुम बुरा ना मानो तो एक बात कह दूँ। जिस तरह तुम अपने से ज़्यादा बुद्धिमान और चतुर लड़कों से दोस्ती करना चाहते हो उसी तरह वह भी अपने से ज़्यादा बुद्धिमान लड़कों की तलाश में रहते हैं। भला बताओ वह क्यूँकर तुम्हारी दोस्ती स्वीकार करेंगे जब तुम उनके बराबर नहीं हो।"     

 

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