Heart Specialist; ह्रदय विशेषज्ञ;ہارٹ اسپیشلسٹ
Ministory;लघु कहानी; افسانچہ
ह्रदय विशेषज्ञ
सिक्योरिटी के कारण मेरे आने-जाने पर प्रतिबन्ध लगा था मगर ह्रदय रोग परेशान कर रहा था। एक मातहत डाकपाल ने बड़ी सावधानी के साथ शहर के प्रसिद्ध ह्रदय विशेषज्ञ डॉक्टर जमील अहमद से मेरे लिए अपॉइंटमेंट ली। डॉक्टर साहब हर रविवार को अपने निवास पर गरीब लोगों का मुफ्त इलाज करता था ताकि उसके खाते में पुण्य एकत्रित हो जाएँ। मुझको भी रविवार को ही ग्यारह बजे का समय दिया गया।
डॉक्टर साहब ने मेरे टेस्ट रिपोर्ट देख लिए, फिर मेरी जाँच कर ली और उसके बाद एक के बाद एक बारह दवाईयों के नाम लिखे। मैं साँस रोके उसकी चलती हुई उँगलियों को देखता रहा। मुझे सामने बैठे हुए बीसियों रोगियों पर तरस आ रहा था। इसलिए मैं वहां से भागना चाहता था। डॉक्टर साहब ने नुस्खा मेरी और बढ़ाया। मैं नुस्खा पकड़ कर उठने ही वाला था कि उसने दुबारा नुस्खा मेरे हाथ से छीन लिया और कहने लगा, "सॉरी मैं एक दवाई लिखना भूल ही गया। यह ह्रदय रोग के लिए अत्यंत आवश्यक है।" फिर उसने एक के बदले दो दवाईयां लिख कर नुस्खा लौटा दिया और मैं जल्दी-जल्दी वहां से निकल गया।
गेट से बाहर निकलते ही मेरा मातहत सांत्वना देने के लिए कहने लगा, "सर डॉक्टर जमील बहुत ही नेक और धर्मात्मा मनुष्य हैं। आपने देखा होगा कि जो लोग वहां बैठे थे उन सब का इलाज मुफ्त करता है।"
मैंने उसका दिल रखने के लिए खामोश रहना ही उचित समझा लेकिन उसने फिर अपनी बात को आगे बढ़ाया। "सर आप को कैसा लगा? लोग तो उस की बहुत प्रशंसा करते हैं।"
अब मुझ से रहा ना गया। बोला, "भाई उसने चौदह दवाईयां लिख दी हैं, एक न एक तो काम कर ही ले गी। खैर बात दवाईयों की नहीं है। उसको फीस लेने की जरूरत ही क्या है? इन दवाईयों की क़ीमत तीन-चार हज़ार से कम न होगी। तीन-चार सौ तो कमीशन बन ही जाएगा। यह तो शुक्र है कि टेस्ट पहले ही करवा चुका था वरना ना जाने कौन कौन से टेस्ट लिख देता और उस का कमीशन अलग बन जाता। वास्तव में मिलिटेंसी के कारण सभी अच्छे डॉक्टर घाटी छोड़ कर दूसरे स्थानों पर पलायन कर चुके हैं और यह डॉक्टर इन बेचारे गरीब लोगों को बेवक़ूफ़ बना रहा है।"
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