Naseehat; परामर्श ;نصیحت
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परामर्श
इंजीनियरिंग की शिक्षा के दौरान कॉलेज ने मेरे पुत्र को मॉडलिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए भेज दिया जहाँ उसे पहला पुरुस्कार मिल गया। परिणामस्वरूप उसपर मॉडलिंग का भूत सवार हो गया। शिक्षा पूरी करते ही वह सिक्स-पैक बॉडी बनाने, रैंप पर चलने और शुद्ध अंग्रेजी बोलने का प्रशिक्षण लेने के लिए मुंबई चला गया। वहां से उसने एक पत्र के माध्यम से मुझे अपनी योजना से अवगत कराया।
मैं बच्चों के भविष्य के बारे में काफी सावधान रहता हूँ। उन्हें अपनी इच्छा से करियर चुनने की पूरी स्वतंत्रता है। परन्तु उसका यह निर्णय मेरी समझ से परे था क्यूंकि वह बहुत ही बुद्धिमान लड़का था। मैंने उत्तर में यूँ लिखा, "बेटे शायद तुम यह सब कुछ फिल्मों में जाने के लिए कर रहे हो मगर यह समझ लो कि मुंबई वी टी और सेंट्रल पर प्रति दिन कम से कम सौ युवा ट्रेनों से यह सोच कर उतरते हैं कि वह अमिताभ बच्चन की तरह एक दिन बहुत बड़े एक्टर बन जाएं गे। अगर ध्यान से देखो गे तो पिछले चालीस वर्षों में हमें एक ही अमिताभ बच्चन मिला जबकि बाक़ी सब लड़के अपराध से भरी हुई मुंबई की दुनिया में ना जाने कहाँ खो गए।"
कुछ दिनों के बाद मुझे उसका एक पत्र मिला जिस में हाल-चाल के अतिरिक्त यह इबारत दर्ज थी, "पापा, अगर अमिताभ बच्चन के पिता जी ने भी ऐसा ही परामर्श दिया होता तो शायद हमें अमिताभ बच्चन कभी ना मिल पाता।"
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