Thursday, March 11, 2021

Aadil Badshah;न्यायप्रिय राजा;عادل بادشاہ ; Ministory;लघु कहानी;افسانچہ

Aadil Badshah;न्यायप्रिय राजा;عادل بادشاہ  
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ 

न्यायप्रिय राजा 

"न्याय.....! क्या है न्याय.....! मैं सोच विचार के अथाह समुद्र में डूबकर इस शब्द का सही अभिप्राय ढूंढ रहा था। "न्याय न्याय है और कुछ भी नहीं। अत्याचारी को उस के किये की सज़ा देना और पीड़ित को उस पर हुए अत्याचार से नुक्सान की भरपाई करना न्याय है।" अंदर से आवाज़ आई। 
"झूठ बोल रहे हो। दोनों शर्तें असंभव हैं।"
मुझे दो कहानियां याद आ गयीं। 
एक भारतीय राजा के सामने निस्सहाय व निराश्रय अभियोक्ता हाज़िर हुआ और कहने लगा, "महाराज आप के राजकुमार ने हमारे आश्रम में पल रहे हिरण  को जंगल में मार दिया। मेरे बेटे ने जब तड़पते हिरण को देखा उससे  रहा ना गया। वह उसे बचाने के लिए दौड़ पड़ा और हिरण को गोद में उठा कर आश्रम की तरफ़ लाने लगा। राजकुमार को ग़ुस्सा आ गया  उसने मेरे इकलौते बेटे का सीना तीरों से छलनी कर दिया। महाराज आप हमारे मालिक हैं। इसलिए आप से न्याय मांगने आया हूँ।"
मामले की छानबीन हुई। सारे सबूत राजकुमार को क़सूरवार ठहराते थे।  इसलिए राजा ने मुजरिम को फांसी की सज़ा सुनाई और अपने खानदान का इकलौता चिराग़ भुजा दिया।लोगों ने राजा के न्याय को सराहा क्यूंकि उसने अपने इकलौते बेटे को भी नहीं बख्शा। 
ऐसी ही एक और घटना चीनी सम्राट के साथ घटी। एक साईस खुले मैदान में घोड़ा निकाल रहा था कि राजकुमार की नज़र उसके घोड़े पर पड़ी। राजकुमार ने उससे घोड़ा माँगा मगर साईस ने मालिक के हुक्म के बग़ैर घोड़ा देने से इंकार किया। राजकुमार को ग़ुस्सा आ गया और उसने तुरंत साईस का सिर काट लिया। साईस का पिता सम्राट क्वे दरबार में हाज़िर हुआ और इन्साफ की दुहाई देने लगा। "गरीबों के रक्षक, आप के बेटे ने बिना किसी कारण के मेरे इकलौते बेटे की हत्या कर दी। इसलिए मैं आपसे इन्साफ मांगने आया हूँ।" सम्राट गहरी सोच में पड़ गया क्यूंकि राजकुमार उसका इकलौता वारिस था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे। कुछ समय के बाद उसने  राजकुमार के निजी शिक्षक को दरबार में पेश करने का हुक्म दिया। सभी दरबारी असमंजस में पड़ गए। जब राजकुमार का शिक्षक दरबार में पेश हुआ तो सम्राट ने अपना फैसला सुनाया। "चूँकि राजकुमार नाबालिग है और ज़ाहिर है कि उसकी शिक्षा में कहीं कोई त्रुटि  रही होगी जिसकी वजह से वह सही और गलत में अंतर नहीं कर सका इसलिए मैं राजकुमार के शिक्षक का सिर काटने का आदेश देता हूँ।" फैसला सुनकर जनता सम्राट की बुद्धिमत्ता और कुशलता से प्रभावित  हो गयी और इस तरह शाही सिलसिला भी जारी रहा। 
न्याय के दोनों रुख मेरे सामने हैं। मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि इनमें से कौन सा राजा न्यायप्रिय था।                       



 

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