Monday, March 15, 2021

Sagon Ka Ped; सागौन का पेड़; ساگون کا پیڑ ; Ministory;लघु कहानी;افسانچہ

Sagon Ka Ped; सागौन का पेड़; ساگون کا پیڑ 
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ 

सागौन का पेड़ 

कप्तान जसवंत सिंह के यूनिट स्टोर में राशन और दुसरी वस्तओं में विसंगति पाई गयी। इसलिए फार्मेशन ने जाँच पड़ताल का आदेश जारी किया। तकनीकी मामलों में वह मेरे अधीन था परन्तु प्रशासनिक मामले और अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यू ब्रांच के हिस्से में आती थी और उस में मेरा कोई रोल नहीं था। फिर भी न जाने क्यों उससे यक़ीन था कि मैं उस को बचा सकूंगा। उस ने कई बार मेरे घर के चक्कर लगाए और बचाव का रास्ता निकालने के लिए मिन्नत समाजत की। मुझे उसके चार बच्चों की हालत देखकर उस पर तरस आया। इसलिए जितना हो सका उसकी मदद की। अंततः वह आरोपों से बरी हो गया मगर सावधानी के तौर पर फार्मेशन ने उसको वहां से ट्रांसफर करवा  दिया। 
जाने से पहले मैं और मेरी बीवी उसको अलविदा कहने  के लिए उसके घर चले गए। वहां उस का सामान पैक हो रहा था जिसमें एक नया सागौन का सोफ़ा ध्यान आकर्षित कर रहा था। 
दुसरे दिन ऑफिस में पता चला कि जसवंत सिंह ने यूनिट के दो सागौन पेड़ कटवा कर उनका फर्नीचर बनवाया था। यह सुनकर मुझे अपने आप से घृणा  होने लगी कि मैं ने ऐसे आदमी को क्यों बचा लिया। मुझे बार बार कवी 'सौदा' का निम्नलिखित शेर याद आ रहा था। 
          "होगी कब तक बच्चा ख़बरदारी        चोर जाते रहे की अंधियारी" 


 

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