Kis Ko Dosh Dun!; किस को दोष दूँ !
!کس کو دوش دوں
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ
किस को दोष दूँ !
वह बस में सफर कर रहा था और अपनी क़िस्मत पर चिंतित था।
पोस्ट ग्रेजुएशन में कम नंबर आने के कारण उससे दो साल से नौकरी नहीं मिल रही थी। वह किसी और को नहीं परन्तु अपने आपको ही ज़िम्मेदार मानता था।
दुसरे दिन उस ने अपने दोस्त को चिठ्ठी लिखी जिसका सार नीचे दे रहा हूँ।
"यार तुम लोग भाग्यशाली हो। अपनी गलतियों को भगवन के सिर मढ़ते हो और सोचते हो कि जो हुआ उस की इच्छा से हुआ। मगर मैं तो नास्तिक हूँ। भगवान् के अस्तित्व को नकारता हूँ। इसलिए सभी मामलों में अपने आप को ही दोषी ठहराता हूँ। मुझे अपनी पीड़ा बाँटने का कोई तरीका नज़र नहीं आ रहा है।"
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