Ankhon Ke Liye;आँखों के लिए; آنکھوں کے لئے
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ
आँखों के लिए
कार्तिक जब भी अपने ननिहाल जाता नानाजी उससे बार-बार यही कहते, "बेटे अब तुम जवान हो चुके हो, नौकरी भी करते हो, अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए।"
नौकरी मन पसंद ना होने के कारण कार्तिक सुनी अनसुनी कर देता।
आज नानाजी हद से अधिक भावुक हो गए और कहने लगे, "बेटे मैं अस्सी वर्ष का होगया हूँ। ना जाने कब आँखें बंद हो जाएं गी। तुम विवाह कर लो ताकि मेरी आँखें भी देख लें।"
कार्तिक का मूड़ वैसे ही बहुत ख़राब था। उसने जिस नौकरी के लिए आवेदन दिया था उसपर सिफारिश के कारण किसी और को नियुक्त किया गया था। इसलिए दो टूक जवाब दिया, "नानाजी मुझे आप की आँखों के लिए विवाह नहीं करना है बल्कि अपने लिए करना है। फिर आप क्यों परेशान होते हैं?"
उत्तर सुन कर नानाजी सदा के लिए चुप हो गए।
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