Parda Fash;पर्दा फाश;پردہ فاش
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पर्दा फाश
आधी रात को जूंही मैंने करवट बदल ली उसकी आवाज़ मेरे कानों से टकराई। वह नींद में बड़बड़ा रही थी। "नहीं, नहीं मुझे छूना नहीं। तुम मेरे लिए मर चुके हो। मुझे हाथ मत लगाना।" शायद कोई स्वप्न देख रही थी।
मेरी हैरानी की हद न रही। ऐसी गहरी नींद में वह किस को छूने से मना कर रही थी? दिल में कई आशंकाओं ने सिर उभारा है। अवश्य कोई पुराना मित्र होगा जो उसको ख्वाब में छूने की कोशिश कर रहा था। मेरी नींद तो ख़ैर हराम हो ही गयी लेकिन रात भर यह गुथी सुलझ न पायी। बार बार एक ही सवाल मन में उठ रहा था कि वह कौन था जिस को वह रोक रही थी?
दुसरे दिन उसका चेहरा मुरझाया सा नज़र आ रहा था। मैं भी रात की घटना के कारण कुछ खिचा-खिचा सा रहा। फिर शाम को जब दफ्तर से लौट आया तो उससे रहा न गया।
"कल दोपहर के वक़्त मैं टेलर के पास गयी थी। होटल प्लाजा के सामने आपकी कार खड़ी देखी। सोचा कि आपके साथ ही घर चली जाऊँ गी। अंदर झाँका तो आप किसी औरत के साथ मज़े से लंच कर रहे थे। परेशान होकर मैं अकेली ही वापस चली आयी। सारी रात डरावने ख्वाब देखती रही। मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि आप ऐसे बेवफा निकलें गे?" उस के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
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