Lakshmi Ka Swagat; लक्ष्मी का स्वागत;
لکشمی کا سواگت
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ
लक्ष्मी का स्वागत
"लक्ष्मी आयी है बीटा लक्ष्मी, हमारे घर साक्षात् लक्ष्मी आयी है " वधू के घर में कदम रखते ही विद्यासागर के पिता जी झूम उठे।
लक्ष्मी उम्मीद से ज़्यादा दहेज लेकर आयी थी। इस के बावजूद विद्यासागर को संतुष्टि न मिली। वह बचपन ही से सरस्वती की तलाश में हैरान-ओ -परेशान था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि हर वधू लक्ष्मी का रूप ही क्यों धारण करती है , सरस्वती का क्यों नहीं ?
सरस्वती की तलाश में विद्यासागर दर दर भटकता रहा। अंततः उसने घर से दूर, बहुत दूर एक आश्रम में शरण ली और लक्ष्मी को सदा के लिए भूल गया।
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