Thursday, March 18, 2021

Lakshmi Ka Swagat; लक्ष्मी का स्वागत; لکشمی کا سواگت ; Ministory;लघु कहानी;افسانچہ

Lakshmi Ka Swagat; लक्ष्मी का स्वागत;
لکشمی کا سواگت  
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ 

लक्ष्मी का स्वागत 

"लक्ष्मी आयी है बीटा लक्ष्मी, हमारे  घर साक्षात् लक्ष्मी आयी है " वधू  के घर में कदम रखते ही विद्यासागर के पिता जी झूम उठे। 
लक्ष्मी उम्मीद से ज़्यादा दहेज लेकर आयी थी।  इस के बावजूद विद्यासागर को संतुष्टि न मिली। वह बचपन  ही से सरस्वती की तलाश में हैरान-ओ -परेशान था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि हर वधू  लक्ष्मी का रूप  ही क्यों धारण करती है , सरस्वती का क्यों नहीं ?
सरस्वती की तलाश में विद्यासागर दर दर भटकता रहा। अंततः उसने घर से दूर, बहुत  दूर एक आश्रम में शरण ली और लक्ष्मी को सदा के लिए भूल गया। 


 

No comments:

Post a Comment