Sunday, March 7, 2021

Ashirvaad; आशीर्वाद; آشیرباد ; Ministory;लघु कहानी;افسانچہ

Ashirvaad; आशीर्वाद; آشیرباد 
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ 

आशीर्वाद

मानुषी के वैवाहिक जीवन में दस वर्ष के बाद उस दिन ठहराव आया जब उसकी गोद भर गई। इन दस वर्षों में उसने क्या-क्या जतन नहीं किये। हर दिन प्रातः मंदिर में पूजा पाठ करती, सोमवार को व्रत रखती और अक्सर बड़े बड़े साधु संतों के द्वार पर हाज़िरी देती। एक दिन एक स्वामी जी ने उसको आशीर्वाद दिया, "जा तुम्हें जल्दी ही लड़का पैदा हो जायेगा।" और फिर ऐसा ही हुआ। 
लड़का जवान क्या हुआ कि उसकी शरारतों की खबरें चारों तरफ फैल गईं। शिक्षा छूट गई, लुच्चे लफ़ंगे दोस्त बन गए और छोटे छोटे अपराध करना उस की आदत बन गई। 
तंग आकर मानुषी उसी स्वामी के पास चली गई जिसने पैदा होने से पहले आशीर्वाद दिया था। बोली, "स्वामी जी, आपने उस दिन मुझ पर बहुत कृपा की थी कि आपके आशीर्वाद से मेरी सूनी गोद भर गई। परन्तु इस लड़के ने मेरी नाक में दम कर दिया है। वह तो आवारागर्द और गुंडा बनता जा रहा है।"
"बेटी, तुम ने उस वक़्त लड़का मांग लिया था, सो मैं ने दे दिया। यह तो तुम ने कभी नहीं कहा कि जो बेटा मिल जायेगा वह शिष्ट और कुलीन भी होना चाहिए।"      


 

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