Wednesday, March 3, 2021

Shifa;आरोग्य प्राप्ति;شفا ; Ministory;लघु कहानी; افسانچہ

Shifa;आरोग्य प्राप्ति;شفا 

Ministory;लघु कहानी; افسانچہ 

आरोग्य प्राप्ति 

हे ईश्वर, मुझे माफ़ कर। मैं ग़रीब, दरिद्र और निराश बीमारों से अपनी रोज़ी रोटी कमा लेता हूँ। ये मेरी मजबूरी है क्यूंकि डाक्टरी मेरा व्यवसाय है और जीवन व्यापन के लिए मेरे पास इस के सिवा और कोई साधन नहीं है। किन्तु इस प्राणी की प्रार्थना सुन। मेरे हाथों को आरोग्य प्राप्ति का वरदान दे और मुझे इस योग्य बना कि मैं लालच और लालसा से दूर रहूं और किसी का शोषण ना करों। 
बड़े अक्षरों में लिखे हुए इस लेख पर काला फ्रेम चढ़ा हुआ था और डॉक्टर रहीमुद्दीन की कुर्सी के ठीक पीछे दीवार पर लटक रहा था। यह लेख उसे सदैव याद दिलाता है कि एक डॉक्टर की ज़िन्दगी का उद्देश्य केवल इंसान की सेवा करना है। कई बार रहीमुद्दीन निर्धन रोगियों की फीस भी माफ़ करता है यहाँ तक कि उसने कई बार बेसहारा औरतों को वापस घर जाने के लिए जेब से खर्चा भी दे दिया। 
फलस्वरूप डॉक्टर रहीमुद्दीन का क्लिनिक आज भी वैसा ही है जैसा वह तीस साल पहले था जबकि उसके समकालीन डॉक्टरों ने करोड़ों की जायदादें बनाईं। डॉक्टर रहीमुद्दीन के बच्चे उस को बेवक़ूफ़ और नालायक़ समझते हैं। उस की बीवी की मृत्यु दस साल पहले हुई थी, बेटी विवाह करके ससुराल जा चुकी थी और दोनों बेटे अमेरिका जाकर वहीँ बस चुके हैं। इस के बावजूद वह तनहाई से नहीं घबराता। अस्सी साल की उम्र में भी वह सुबह सवेरे जागता है, मस्जिद जाकर हर रोज़ निमाज़ पढ़ता है और ईश्वर का धन्यवाद करता है। अपने व्यक्तिगत काम स्वयं करता है और क्लिनिक में पूरे दृढ़ निश्चय के साथ दिन भर अपने मरीज़ों के आंसों पोंछता रहता है। 


 

No comments:

Post a Comment