Tohfa; उपहार; تحفہ
Ministory;लघु कहानी;افسانچہ
उपहार
एक रात वह अचानक गाँव से ग़ायब हो गया और शहर की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में ट्रक ड्राइवर का काम करने लगा। कभी इस शहर और कभी उस शहर। ना दिन का पता ना रात का। मौज मस्ती, दारू कोठा..... ज़िन्दगी बस इसी दायरे में घूमती रही। उसने मुड़ कर भी कभी अपने घर की राह ना ली।
बीवी बेचारी घर-घर काम करके थोड़ा बहुत कमाती रही लेकिन उसके बच्चे दाने-दाने को तरसते रहे। आम भारतीय नारियों की तरह उसको भी विश्वास था की किसी ना किसी दिन उसका मर्द अवश्य वापिस आए गा।
और फिर एक दिन उस का पति सचमुच् लौट आया। वह ख़ुशी से फूली ना समाई। सोचने लगी, "इतने बरसों के बाद ही सही, पति देव के दर्शन तो हो गए। उसने मेरे लिए अवश्य कोई उपहार तो लाया होगा।
उस अनपढ़ गंवार को क्या मालूम था को उसका पति परमेश्वर एड्स की घातक बीमारी लेकर खाली जेब लौट आया है।
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