Friday, April 17, 2020

Extension: ایکسٹنشن ; एक्सटेंशन ; Afsancha; लघु कहानी ; افسانچہ

Extension: ایکسٹنشن ; एक्सटेंशन 
 Afsancha; लघु कहानी ; افسانچہ 

एक्सटेंशन 
वह क्लास में कभी हाज़री लगाती ही नहीं थी।  महीने के अंत में सब विद्यार्थियों को उपस्थित दिखा कर पहली तारीख को प्रिंसिपल के सामने रजिस्टर रख देती। इस महीने रजिस्टर देखकर प्रिंसिपल साहब आग बबूला हो गए, एक नाम पर ऊँगली रखकर उसने शिक्षिका से पूछ लिया, "यह विद्यार्थी तो पिछले महीने दरिया में डूब कर मर गया फिर इसको तुमने हाज़िर कैसे दिखाया?"
अध्यापिका ने किसी तिलमिलाहट या बोखलाहट के बग़ैर अपने चेहरे पर सहानुभूति के लक्षण उभारे और फिर उत्तर दिया, "सर मैं भगवान की तरह निर्दयी नहीं हूँ। यह बेचारा तो इतनी अल्पायु में मर गया, मैंने सोचा मैं इसे जीवन तो नहीं दे सकती कम से कम उपस्थिति रजिस्टर में एक महीने का एक्सटेंशन तो दे ही सकती हूँ।"       



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