Talbees: تلبیس ; छद्मावरण
Afsancha; लघु कहानी ;افسانچہ
छद्मावरण
सज़ा से बचने के लिए वह छद्मावरण करके तमिलनाडु से जम्मू पहुँच गया। जटाधारी, लम्बी दाढ़ी, गेरवे वस्त्र, मतलब साधु का वेश धारण कर लिया। पेट की आग बुझाने का भारतवर्ष में इससे आसान तरीक़ा और क्या हो सकता है।
जम्मू में उन दिनों नई कॉलोनियां बस रही थीं। उसने एक खंडहर में शरण ली, साफ़ सफाई करके एक मूर्ति स्थापित की, दो चार घंटियाँ लटका दीं और खंडहर को मंदिर में बदल दिया। धीरे धीरे श्रद्धालुओं का ताँता बंध गया और वह पुजारी के रूप में उनको अमृत और प्रसाद वितरण करने लगा। समय के साथ साथ मंदिर का विस्तार होता रहा, इंसान के क़द का शिवलिंग बीचों बीच खड़ा किया गया और जगह जगह मूर्तियां लगाई गईं। प्रातः सूर्योदय से पहले और शाम सूर्यास्त के बाद मंदिर से लाउड स्पीकर पर फ़िल्मी और ग़ैर-फ़िल्मी भजनों की आवाज़ें सारे इलाक़े में गूंजने लगीं।
चूँकि यह समय पढ़ाई का होता है और कश्मीरी विस्थापित शिक्षा को प्राथमिकता देते हैं, बच्चों को इस शोर-गुल के कारण कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था परन्तु कोई कुछ भी ना बोल पा रहा था कि कहीं किसी की भावनाओं को ठेस ना पहुँचे।
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