Mughalta:भ्रांति ; مغالطہ
Afsancha;लघु कहानी; افسانچہ
भ्रांति
वह मेरे बेटे को ढूंढ रही थी। उन दिनों मोबाइल का चलन नहीं था। घर में एक ही टेलीफोन था। घर के सभी सदस्यों के लिए उसी पर टेलीफोन कॉल्स आ जाती थीं। मैंने रिसीवर उठाया और कान से लगा कर 'हेलो' कह दिया।
"हेलो अंकल, मैं पूजा बोल रही हूँ। क्या मैं सुरेश से बात कर सकती हूँ?"
"बेटे मैंने कहा ना कि वह यहाँ नहीं है। माँ के साथ सुबह सवेरे कहीं चला गया है। यह बार-बार टेलीफोन करने का क्या तुक है? दस मिनट पहले ही तो मैंने तुम को बतलाया था।" मेरे स्वर में कुछ विमुखता सी थी।
"सॉरी अंकल मैं तो पहली बार टेलीफोन कर रही हूँ" वह कुछ समय के लिए सोच में पड़ गयी और उसके बाद फिर बोल पड़ी, "ओह अंकल मैं समझ गयी, वास्तव में मैं हिंदी वाली पूजा बोल रही हूँ। हो सकता है इससे पहले अंग्रेजी वाली पूजा ने टेलीफोन किया होगा। वह भी हमारी क्लास फेलो है और आम तौर पर अंग्रेजी में बात करती है।"
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