Friday, April 24, 2020

Humjinsiyat;समलैंगिकता;ہم جنسیت ;Afsancha;लघु कहानी;افسانچہ

Humjinsiyat;समलैंगिकता;ہم جنسیت 
 Afsancha;लघु कहानी;افسانچہ 
समलैंगिकता
मुझे उसकी विकृति का एहसास पहली मुलाक़ात में  ही हुआ। उसने अपने दोस्तों से भी मेरा परिचय कराया। मालूम हुआ कि तीनों समलिंगी रिश्ते में बंधे हुए हैं और एक दुसरे की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। मेरे स्वास्थ्य को देख कर उसने मुझे भी ऑफर किया था। 
दो वर्ष बाद मैं उसके विवाह में सम्मिलित हुआ। फिर उनके दो बच्चे भी हुए। जब भी मैं उसकी फैमिली से मिलता सभी प्रसन्न तथा संतुष्ट नज़र आते थे। हर बार जब उसकी पत्नी का सामना होता तो दिल में यही ख्याल आता कि पूछ लूँ तुम्हें अपने पति की समलैंगिकता की खबर है या नहीं? अगर है तो फिर तुम उसके साथ कैसे निर्वाह कर रही हो? परन्तु हर बार मन की मन में ही रह जाती।    

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