Imaan ki Qeemat: ایمان کی قیمت ;ईमान की क़ीमत
Afsancha;लघु कहानी ; افسانچہ
ईमान की क़ीमत
रिश्वत की रक़म उसे कुछ मामूली सी लगी। सोचता रहा कि इतनी छोटी सी रक़म के लिए क्यों अपना ईमान बेच दूँ।
फिर अंदर से आवाज़ आई। ले लो भाई, जो कुछ मिलता है। तुम कौनसे केंद्रीय या राज्य मंत्रिमंडल के मंत्री हो जो करोड़ों का कमीशन मिल जाए गा। जो मिलता है उसे ग़नीमत समझ लो और आगे की ऊपर वाले पर छोड़ दो। तुम हर रोज़ उसकी पूजा करते हो और फिर दान भी तो देते हो। वह किसी को निराश नहीं करता।
No comments:
Post a Comment