Khudgharzi: خود غرضی स्वार्थ
Afsancha;लघु कहानी ;افسانچہ
स्वार्थ
घर छोड़ते समय वह अपनी बेटी को भी साथ ले गई। भरी दुनिया में कहाँ जाएगी उसे मालूम ना था मगर रोज़ रोज़ की मार-पीट से तो छुटकारा मिला। अंततः एक दलाल ने सहारा दिया, लालकुर्ती में मामूली किराए पर एक दुर्गंध-युक्त कमरा दिलवाया और फिर प्रतिदिन ग्राहक लाने लगा। कई सहव्यवसायी महिलाओं ने परामर्श दिया कि बेटी को इस धंधे से दूर रखो और शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूल भेजा करो। पढ़े गी, लिखे गी तो हो सकता है कुछ अच्छा काम करने के योग्य बन जाये परन्तु वह नहीं मानी। उसे सदा यह आशंका रहती थी कि कहीं बेटी शिक्षा प्राप्त करके भाग गई तो खुद उस का क्या होगा।
nice
ReplyDeleteThanks.
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