Monday, April 13, 2020

Qalam Ki Dhar: क़लम की धार; قلم کی دھار ; Afsancha; लघु कहानी ; افسانچہ

Qalam Ki Dhar: क़लम की धार; قلم کی دھار  
 Afsancha;लघु कहानी ;افسانچہ 
क़लम की धार 

उस की तलाक़शुदा बीवी से किसी रिश्तेदार ने पुछा, "तुम्हारे बारे में तुम्हारा पूर्व-पति अनाप शनाप लिखता रहता है। वह तुम्हारे चरित्र पर हमेशा कीचड़ उछालता है। वह जो कुछ लिखता है क्या वह सच है?"
बीवी का चेहरा संजीदा और संगीन हो गया। उत्तर दिया, "उसके पास तलवार जैसी क़लम है, सच को झूट और झूट को सच बना सकता है, मैं कैसे रोक सकती हूँ। मैं ठहरी अनपढ़ गँवार औरत, अपनी सफाई किसके सामने पेश करूँ। मैं ही एक इकलौती लेखक की पत्नी तो हूँ नहीं जो अपने पति की  क़लम से लहूलुहान हो रही है, यह तो सदियों से यूँ ही चला आ रहा है।"       

No comments:

Post a Comment