Shutur Murgh; शुतुरमुर्ग; شتر مرغ
Afsancha;लघु कहानी;افسانچہ
शुतुरमुर्ग
मैं उठा और खिड़की का पर्दा हटाया।
बाहर नरसंहार हो रहा था और मकान जल रहे थे जिनके धुंए से कुछ साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था। तथापि इतना तो स्पष्ट था कि यह सब कुछ मेरे मकान से बहुत दूर हो रहा था। इसलिए मैंने भगवान् का शुक्र अदा किया। मैं वापस अपनी रज़ाई में शुतुरमुर्ग की तरह सिर दबाये घुस गया और निश्चिन्त सो गया।
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