Yeh Kaisa Rishta: यह कैसा रिश्ता; یہ کیسا رشتہ
Afsancha;लघु कहानी;افسانچہ
यह कैसा रिश्ता !
मैं और मेरी पत्नी तेजपुर असम से वापस टँगावैली, अरुणाचल प्रदेश जा रहे थे कि रास्ते में सेसा के पास चाय नाश्ता करने के लिए रुक गए। रेस्टोरेंट में प्रवेश करते ही मेरी दृष्टि एक अधीनस्थ अफसर पर पड़ी जो टँगावैली में अपने फील्ड पोस्ट ऑफिस का निरीक्षण करके वापस अपने हेडक्वार्टर जा रहा था। उसके साथ एक सांवली महिला थी जो देखने में कुछ जवान लग रही थी। उसने हमें अपने पास बैठने के लिए आमंत्रित किया और हम दोनों के लिए डोसा और चाय का आर्डर दे दिया।
बहुत देर तक मैं ऑफिस की बातें करता रहा जबकि मेरी श्रीमती जी बिलकुल खामोश रही। मुझे कुछ संदेह सा हो गया क्यूंकि वह बात करने के बग़ैर रह ही नहीं सकती। खैर नाश्ता करने के पश्चात् जब हम एक दुसरे से विदा हो गए तो मैंने अपनी पत्नी से रोष प्रकट किया, "तुमने उसकी बीवी से बात क्यों नहीं की, तुम अपने आप को ना जाने क्या समझती हो?"
"वह कौन सी उसकी बीवी है, वह तो उसकी बहु है जिस को वह अपने पास रखता है जबकि अपनी बीवी को बेटे के पास रख छोड़ा है।" उसने शरारत भरे लहजे में उत्तर दिया।
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